भगवान् विष्णु की पूजा के लिए बनी आरती ओम जय जगदीश हरे अर्थ सहित (OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING) हम आपको बताने जा रहे हैं | ओम जय जगदीश हरे दुनिया की सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती मानी जाती है | किसी भी शुभ काम और पूजा के बाद ओम जय जगदीश हरे आरती का होना सबसे शुभ माना जाता है |
कब लिखी गयी थी ओम जय जगदीश हरे आरती | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
ये आरती सन 1870 में पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी जी ने लिखी थी जिनको की हिंदी साहित्य का प्रथम उपन्यासकार भी कहा जाता है |
क्यों जरुरी है आरती का अर्थ जानना | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
अगर हम पूरे भाव के साथ भगवान् की आरती करना चाहते हैं तो हमें पता होना चाहिए कि हम भगवान् जी से क्या विनती कर रहे हैं इसलिए जब भी हम कोई आरती करें हमें उसका पूरा अर्थ पता होना चाहिए | आपको और भी सब आरती जैसे गणेश आरती, दुर्गा आरती, लक्ष्मी आरती अर्थ सहित हमारी वेबसाइट खबर आस पास में मिल जाएगी | तो अब आप जानिये ओम जय जगदीश रहे आरती का पूरा अर्थ (OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING) –
OM JAI JAGDISH HARE WITH MEANING | ॐ जय जगदीश हरे आरती अर्थ सहित
ॐ जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो |
जो भी भक्त आपकी शरण में हैं, जो भी भक्त आपकी आराधना करते हैं उनका आप पल भर में संकट हर के, तुरंत ही कल्याण कर देते हो |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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जो ध्यावे फल पावे,दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे जगत के नाथ, जो भी भक्त आपकी आराधना करता है और आपकी पूजा करता है और आपका ध्यान करता है उसको शारीरिक और मानसिक सब तरह के रोगों से मुक्ति मिल जाते हैं अर्थात उसके सब कष्ट मिट जाते हैं |
आपकी भक्ति करने वाले भक्त के घर में सुख और सम्पति आ जाती है और धन वैभव आता है| आपके भक्त को कोई बीमारी भी नहीं रहती और स्वस्थ रहता है |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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मात पिता तुम मेरे,शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे जगत के स्वामी, आप मेरे माता-पिता हो, आपकी ही कृपा से मैंने ये मानव शरीर पाया है और इस जगत में पैदा हुआ हूँ इसलिए हे प्रभु मैं हर समय आपकी ही शरण में हूँ, जब आप ही मेरे सब कुछ हो तो मैं किसी और की शरण में जा भी कैसे सकता हूँ |
मेरा आपके सिवा इस दुनिया में कोई और नहीं है, मेरे बस आप है इसलिए प्रभु मुझे आपकी ही आस है और मैं हर वक़्त, हर सुख दुःख में आपकी ही आशा रखता हूँ |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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तुम पूरण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे जगत के पालनहार, आप सर्व समर्थ परमात्मा हो आपकी ही शक्ति से ये जगत चल रहा है और आपकी ही शक्ति से हम सब का अस्तित्व है | हे प्रभु, आप अंतर्यामी हो और आप सब कुछ जानते हो |
आप ही पार ब्रह्मा हो और आप ही जगत के परमेश्वर हो प्रभु | आप ही जगत के स्वामी हो, हम सब के स्वामी आप ही हो नाथ |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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तुम करुणा के सागर,तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे जगत के स्वामी, आप दयानिधान हो, आप हम सब पर दया करने वाले हो और आप ही कृपानिधान हो | आप ही सारे जगत को पाल रहे हो, सबका पालन-पोषण करने वाले आप ही हो मेरे प्रभु |
मैं आपका भक्त, अज्ञानी हूँ, अधम हूँ, मुर्ख हूँ और हमेशा लालच, काम, क्रोध आदि विकारों में फंसा रहता हूँ | आप मेरे स्वामी हैं और मैं आपका दास हूँ प्रभु इसलिए चाहे मैं कितनी ही गलती करता हूँ आप मेरे ऊपर अपनी कृपा बनाये रखना प्रभु |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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तुम हो एक अगोचर,सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,काहे विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे मेरे प्रभु, आप सबके प्राणों में बसे हो, सबमें आपने अपनी शक्ति दे रखी है और सब लोग आपकी ही शक्ति से अपनी जिंदगी जी रहे हैं |
लेकिन प्रभु मैं कैसे आपके दर्शन पाऊं, मुझे ऐसा कुछ नहीं पता जिससे मैं अज्ञानी आपसे मिल पाऊं और आपके दर्शन पाऊं इसलिए हे नाथ आप ही हो, जो मुझ अज्ञानी को सही राह दिखा कर अपने दर्शन करवा सकते हो |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे मेरे नाथ, आप दुखियों के, दुनिया में सताए हुए परेशान लोगों के एक ही सहारा हो, सब भक्तों के आप ही रक्षक हो| आप ही हमारे सारे दुखों को हरने वाले हो |
हे प्रभु, आप आपने हाथों को बढ़ाकर मुझे अपनी शरण में ले लीजिये और मेरे ऊपर कृपा कीजिये क्योंकि मैं आपके ही शरण में हूँ और आपकी ही कृपा चाहता हूँ |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
अर्थ – हे मेरे प्रभु , मुझे काम, क्रोध, लोभ मोह आदि विकारो ने बहुत ज्यादा परेशां कर रखा है और मैं अपने पापों से भी मुक्ति पाना चाहता हूँ जो कि आपकी शरण में आकर ही ये हो पायेगा प्रभु |
हे प्रभु, मेरे पापी मन में अपनी श्रद्धा और अपनी भक्ति भर दीजिये और मुझे आशीर्वाद दीजिये प्रभु की मैं संतजनों की सेवा कर सकूँ और आपकी भक्ति के मार्ग में आगे चल सकूँ |
हे जगत के पालनहार, हे जगत के स्वामी भगवान् विष्णु आपकी जय हो, आपकी सदा ही जय हो | OM JAI JAGDISH HARE AARTI MEANING
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