माँ अम्बे की कृपा हम सब पर बनी हुई है तभी हम सब लोग इस समय माँ दुर्गे की आरती की बात कर रहे हैं | माँ भवानी की कृपा जिस भक्त के ऊपर बनती है उसे फिर जग में कोई कष्ट नहीं रहता, वो माँ की कृपा से मनवांछित फल प्राप्त कर लेता है | इसलिए हम सब लोगों को नित्य माँ की आराधना करनी चाहिए और माँ की आरती पूरे भाव से जानी चाहिए |
माँ दुर्गा के ही रूप हैं माँ सरस्वती, महालक्ष्मी और पार्वती | Durga Mata ki Aarti with Meaning
माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी और माँ पार्वती भी माँ दुर्गा के ही रूप हैं और सब भक्त माँ की भक्ति करके ही अपने जीवन का उद्धार कर सकता है |
दुर्गे माता की आरती with meaning
पूरे श्रद्धाभाव से गाएं माँ दुर्गा की आरती | Durga Mata ki Aarti with meaning
यूँ तो माँ दुर्गा की आरती तो हम सब लोग रोज हो गाते हैं और पूरे श्रद्धाभाव से गाते हैं लेकिन अगर हमें उसका अर्थ सही से पता चल जाए तो भाव और भी बढ़ जाता है | इसलिए हम आज इस लेख में आपको माँ दुर्गे की आरती अर्थ सहित बता रहे हैं |
Durga Mata ki Aarti with Meaning – मां दुर्गा आरती इन हिंदी अर्थ सहित
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे अम्बे माँ आपकी जय हो | हे श्यामा गौरी माता आपकी जय हो | माँ सदा ही जय हो। हे माँ त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिव आपका दिन-रात ध्यान करते हैं। हे अम्बे माँ आपकी जय हो | Durga Mata ki Aarti with Meaning
मांग सिन्दूर विराजत, टीको जगमग तो उज्जवल से दो नैना, चन्द्रवदन नीको | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आपकी मांग में सिंदूर लगा है और और कस्तूरी से आपने तिलक किया है । आपकी चमकती हुई आँखें हैं और आपका चन्द्रमा के समान सुन्दर चेहरा है | हे अम्बे माँ आपकी जय हो | Durga Mata ki Aarti with Meaning
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आपका शरीर सोने से समान कांतिवान है एवं आपने लाल रंग के सुन्दर, चमकते वस्त्रों को धारण कर रखा है | और आपके कंठ(गले) में कनेर के फूलों की माला बहुत ही सज रही है (सुन्दर लग रही है ) | हे अम्बे माँ आपकी जय हो | Durga Mata ki Aarti with Meaning
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आप सिंह (शेर) पर सवारी करती हैं और आप तलवार और नारियल की तरह बना पात्र (कपाल ) को धारण करती हैं। देवता, मनुष्य, ऋषि-मुनि आपकी पूजा और ध्यान करते हैं और आप भी उनके दुःख और कष्टों को क्षण भर में हर लेती हो | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |Durga Mata ki Aarti with Meaning
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आप कान में सुन्दर चमकते हुए कुण्डल पहने रहती हो और आप अपने नाक में मोती धारण करती हो| आपकी ज्योति, असंख्य (करोड़ो) चन्द्रमा और सूरज से भी बढ़कर है | हे अम्बे माँ आपकी जय हो | Durga Mata ki Aarti with Meaning
अर्थ- हे दुर्गे माता, आपने ही शुम्भ और निशुंभ नाम के दो दैत्यों का संहार किया है और देवताओं को पराजित करने वाले महिषासुर राक्षस को भी आपने ही मारा है | धुंए की तरह दृश्यमान होने वाले आपके नेत्र सदा ही मदमस्त (गौरवशाली)रहते हैं | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |Durga Mata ki Aarti with Meaning
अर्थ- हे दुर्गे माता, आपने ही चण्ड और मुंड राक्षसों का संहार किया है और रक्तबीज जिसके रक्त की बूंद से उसके जैसे और राक्षस पैदा हो जाते थे उसको भी आपने ही मारा है | मधु और कैटभ नाम के दैत्य राक्षसों को भी आपने ही संहार किया है और सारे देवताओं को आपने ही भयमुक्त किया है | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |Durga Mata ki Aarti with Meaning
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आप ही ब्राह्मणी अर्थात माँ सरस्वती हो, आप ही रुद्राणी अर्थात माँ पार्वती हो और आप ही कमला रानी अर्थात माँ महालक्ष्मी हो | सारे वेद-शास्त्रों में भी आपका ही वर्णन है और आप ही भगवान् शिव शंकर की भार्या (पत्नी) हो | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |Durga Mata ki Aarti with Meaning
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, चौसठ योगनियाँ आपके यश का गुणगान करती रहती हैं और बाबा भैरव आपके यशगान करते हुए नृत्य में मग्न रहते हैं | आपका यशगान होता है और आपके शौर्य की चर्चा होती है तो ढोल, नगाड़े और डमरू इत्यादि बजते हैं | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आप समस्त जगत की माता हैं, आपसे ही ये जगत चल रहा है और आप ही इस जगत का पालन पोषण करती हो | अपने भक्तों के दुःख को हरने वाली भी आप ही हैं और सुख और धन वैभव भी आपकी ही कृपा से आता है | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आपकी चारोँ भुजाएं बहुत ही ज्यादा शोभायमान लग रही हैं | आपने अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आशीर्वाद देने वाली मुद्रा अपने हाथ से धारण की है | जो भी भक्तगण (नर-नारी) आपकी नित्य पूजा आराधना करते हैं उनको आप उनकी मन इच्छा के अनुसार वरदान देती हो | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, आपकी आरती के लिए कनक (सोने) की थाल सजाई जाती है और उस सोने की थाल में धुप, दीपक और कपूर से आपकी पूजा,आरती होती है | आप श्री मालकेतु (अरावली पर्वत का वो हिस्सा जो चांदी की तरह चमकता है ) में विराजती हो और आपकी आरती की ज्योति करोड़ों रत्नों की तरह चमक वाली है| हे अम्बे माँ आपकी जय हो |
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै | ओम जय अम्बे गौरी
अर्थ- हे दुर्गे माता, शिवानंद स्वामी महाराज जी बताते हैं कि जो भी भक्त आपकी आरती करते हैं, माता की श्रद्धापूर्वक आरती करते हैं, उन भक्तो को आप सुख सम्पति (धन – वैभव ) प्रदान करती हो | हे अम्बे माँ आपकी जय हो |