मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi): कैसे मिलती है इस एकादशी में मुक्ति – 22 and 23 दिसंबर

मोक्षदा एकादशी, Mokshda Ekadashi

भारतीय संस्कृति में धर्म और भक्ति का अद्वितीय संबंध है। हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है, जिसमें ‘मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi)‘ एक महत्वपूर्ण तिथि है।

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इस दिन भक्त भगवान के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और मुक्ति की प्राप्ति के लिए इच्छा करते हैं। इस लेख में, हम मोक्षदा एकादशी के महत्व, कथा, और इस दिन का महत्वपूर्ण संदेशों की चर्चा करेंगे।

मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) का महत्व:

मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) का मतलब है ‘मुक्ति प्रदान करने वाली एकादशी‘।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्त उनकी आराधना करते हैं ताकि उन्हें अपने दुःखों से मुक्ति प्राप्त हो सके। मोक्षदा एकादशी का मान्यता से यह कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने वाले को भगवान विष्णु स्वयं मुक्ति का मार्ग प्रदान करते हैं।

मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) के दिन विशेष रूप से वैष्णव समुदाय के लोग उत्साह और श्रद्धाभाव से इस दिन की तैयारी करते हैं। वे विष्णु पुराण और भगवद गीता के श्लोकों का पाठ करते हैं और भगवान के नाम का जाप करते हैं।

मन्दिरों में भगवान की मूर्तियों की सजाकर पूजा की जाती है और सभी भक्त एकजुट होकर कीर्तन और भजन का आनंद लेते हैं।

मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) की कथा:

धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा, “हे भगवान! मैंने मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी, जिसे ‘मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi)‘ भी कहा जाता है, का विस्तार सुना है।

कृपया अब मुझे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के विषय में भी बताएं। इस एकादशी का क्या नाम है, इसका व्रत कैसे किया जाता है, और इसकी विधि क्या है? कृपया इसकी सम्पूर्ण विवरण करें।”

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, “मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी को ‘मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi)‘ कहा जाता है, जिसे मोक्ष देने वाला माना जाता है और यह सभी कामनाएं पूर्ण करने वाला है।

इस एकादशी के उपवास से व्यक्ति अपने पूर्वजों के दुःखों से मुक्त हो सकता है। इसका महत्म्य मैं तुम्हें विस्तार से सुनाता हूँ, ध्यान से सुनो।”

मोक्षदा एकादशी

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा!

गोकुल नामक नगर में वैखानस नामक राजा था, जिनके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। एक बार राजा ने रात्रि में एक स्वप्न देखा कि उसके पिता नरक में हैं। इससे उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।

प्रात: राजा ने विद्वान ब्राह्मणों से मिलकर उन्हें अपने स्वप्न का विवरण सुनाया। ब्राह्मण ने कहा, ‘हे राजन! तुम्हारे पिता को नरक में जाने का कारण उनके पूर्वजों के कुकर्म थे।

उन्होंने एक पत्नी को रति दी, परंतु सौत के कहने पर दूसरी पत्नी को ऋतुदान माँगने पर नहीं दी। इस पापकर्म के कारण तुम्हारे पिता को नर्क गये हैं।’

राजा ने पूछा, ‘कृपया उपाय बताइए।’ तब ब्राह्मण ने कहा, ‘तुम मार्गशीर्ष एकादशी का उपवास करो और उसके पुण्य को अपने पिता को संकल्प करके अर्पण करो।

इससे तुम्हारे पिता को नर्क से मुक्ति मिलेगी।’ राजा ने ब्राह्मण के सुझाव का पालन करते हुए मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और इसके पुण्य से अपने पिता को मुक्ति प्राप्त हुई।

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है।

इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है और यह धनुर्मास की एकादशी के रूप में भी जानी जाती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अद्वितीय दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान करें और प्रतिदिन थोड़ी देर गीता का पाठ करें।

मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) का महत्वपूर्ण संदेश:

पूजा और भक्ति का महत्व: मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) दिन भगवान की पूजा और भक्ति का महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन भक्त अपने मन, वचन, और क्रिया से भगवान की सेवा करते हैं और उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं।

पापों से मुक्ति: मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) का व्रत रखकर भक्त अपने पापों से मुक्त होता है और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। यह एक साधना है अध्यात्मिक सुधार का और दिव्य आत्मा की दिशा में प्रगट होने का।

धर्मिक जीवन का मार्गदर्शन: मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) दिन धर्म, नैतिकता, और शुभ संस्कृति के मूल्यों का पालन करने के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करता है।

इस दिन लोग अपने जीवन में सात्विकता और नेतिकता के माध्यम से आत्मा को परिशुद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

सामाजिक एकता: मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) दिन समाज में एकता और समरसता की भावना को बढ़ावा देने का भी एक अच्छा मौका है।

लोग इस दिन एक साथ आयोजित कीर्तन और सत्संग में भाग लेकर समुदाय के साथ मिलजुलकर भगवान की स्तुति करते हैं।

मोक्षदा एकादशी में क्या खाएं

मोक्षदा एकादशी में व्रत के दौरान लोग कुछ विशेष आहार पदार्थों का सेवन करते हैं। यह भोजन व्यक्ति की आस्था और स्थानीय रीतिरिवाजों के आधार पर भिन्न हो सकता है।

लेकिन यहां कुछ सामान्य आहार विकल्प दिए जा रहे हैं जो लोग अपने मोक्षदा एकादशी व्रत के दिनों में शामिल करते हैं:

  1. फल (Fruits): सेब, केला, संतरा, अनार, और अन्य मौसमी फल मोक्षदा एकादशी के दिनों में सामान्यत: सेवन किए जाते हैं।
  2. ड्राई फ्रूट्स और मेवा (Nuts and Dry Fruits): बादाम, अखरोट, काजू, किशमिश और अन्य सुखे मेवे व्रती व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  3. दूध और दैहिक उत्पाद (Dairy Products): दूध, दही और पनीर मोक्षदा एकादशी के दिनों में कई लोगों द्वारा सेवन किए जाते हैं। कुछ लोग इन्हें उपवासी मिठाइयों में भी शामिल करते हैं।
  4. साबूदाना और सिंघाड़ा (Sabudana and Singhara): साबूदाना या सिंघाड़ा आट से बने विभिन्न व्यंजन जैसे कि साबूदाना खिचड़ी या सिंघाड़ा पुरी, व्रती भोजन के रूप में लोकप्रिय हैं।
  5. सब्जियाँ (Vegetables): कुछ लोग खासकर आलू, शकरकंद, और अन्य रूखे सब्जियों का सेवन करते हैं। हालांकि, सब्जियों का चयन व्यक्ति की पसंद और स्थानीय रीतिरिवाजों के आधार पर भिन्न हो सकता है।
  6. रॉक सॉल्ट (Rock Salt): एकादशी के दिन सामान्य नमक की बजाय रॉक सॉल्ट (सेंधा नमक) का उपयोग किया जाता है।
  7. पेय (Beverages): पेय में पानी, हर्बल टी, और फलों के रस का सेवन शामिल हो सकता है। कुछ लोग दूध आधारित पेय भी पीते हैं।
  8. मिठाई (Sweets): उन्हें बनाए जाने वाली मिठाई में फल, दूध, और कुछ विशेष आटों का उपयोग हो सकता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि व्यक्ति की आस्था और प्रादेशिक रीतिरिवाजों के आधार पर आहार में विभिन्नता हो सकती है, और कुछ लोग अपने विशिष्ट धार्मिक नेता या पंडित से संपर्क करके विवेचन कर सकते हैं।

एक अद्भुत पर्व

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है।

इस दिन गीता जयंती मनाई जाती हैं साथ ही यह धनुर्मास की एकादशी कहलाती हैं, अतः इस एकादशी का महत्व कई गुना और भी बढ़ जाता हैं। इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करें तथा प्रतिदिन थोडी देर गीता अवश्य पढें।

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